कहानी
दोस्तों पहली कोशिश है शॉर्ट स्टोरी की दुनिया में कदम रखने की। आपका फीडबैक मेरा मार्गर्शन करेगा...
बर्थडे
दिसंबर की सुबह, ठंड का चरम ऐसा कि रजाई ना छूटे... लेकिन आज मितेश न सिर्फ जल्दी उठ गया था बल्कि बहुत खुश भी था। उठते से ही सबसे पहले मोबाइल देखा... कुछ मैसेज इनबॉक्स में थे जिन्हें पढ़ते-पढ़ते वह मुस्कुरा रहा था। बेताबी इतनी थी कि लग रहा था किसी खास मैसेज की तलाश थी उसे। उसका बर्थडे जो था आज। वह उठा, तैयार हुआ और घर वालों ने उसका बर्थडे उसी तरह मनाया जैसे हर साल परंपरा चली आ रही थी। जैसा कि आम भारतीय घरों में होता है... अपनी पसंद की मिठाई, पूड़ी-सब्जी, पुलाव, पकौड़े और वो सबकुछ जो मां अपने लाडले के लिए उसके बचपन से बनाती आ रही है। इतना सब होने के बावजूद वह कुछ खोया-खोया सा था। शायद वह किसी इंतजार में था। आज उसने ऑफिस से छुट्टी भी ले ली थी।
दोपहर के करीब तीन बज रहे थे, मितेश घर में बिस्तर में लेटा आराम कर रहा था कि अचानक से मोबाइल की रिंग बजी। उसने डिस्प्ले स्क्रीन पर कॉलर का नाम देखा और उसका चेहरा खिल उठा, नींद तो अचानक से गायब ही हो गई। फोन उसकी नई दोस्त परी का था। हलो... हां बोल रहा हूं.... थैंक्स, थैंक्स अलॉट... पार्टी... हां...हां बोलो कब, कहां चलना है... अच्छा। कब फ्री हो जाओगी ऑफिस से, ...शाम को 6 बजे.... ठीक है मैं आता हूं, हां वहीं पिज्जा शॉप के सामने। इतना बोलकर उसने फोन रख दिया। वह शाम होने का इंतजार करने लगा। घर पर कहा कि ऑफिस के दोस्तों को पार्टी देनी है, खाना बाहर ही खाएगा। शाम के 4 बज चुके थे, मितेश बार-बार घड़ी देख रहा था। उस जहां जाना था वहां घर से पहुंचने में 15-20 मिनट ही लगते हैं। उससे मानो वक्त कट ही नहीं रहा था। जैसे-तैसे 5 बजे तक खुद को रोके था। पांच बजते ही वह घर से निकल पड़ा। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहा है, दिमाग में तरह-तरह के ख्याल लिए वह चला जा रहा था। करीब पंद्रह मिनट में वह टाटा पिज्जा शॉप के सामने पहुंच गया था। परी के आने में वक्त बहुत था, कभी वह खुद का चेहरा कांच में देखता, कभी बाल संवारता। जैसे-जैसे घड़ी 6 बजने के करीब पहुंच रही थी उसके दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी। गला सूखने लगा था और माथे पर पसीना भी आ गया था, शाम घिरने लगी थी और फिजा में ठंडक भी घुलने लगी थी, इसके बावजूद...। खैर 6 बज चुके थे और उसकी निगाहें सड़क के उस छोर पर जा टिकीं जहां से परी आने वाली थी। वक्त बढ़ते जा रहा था और उसके साथ-साथ परी का इंतजार भी। 6.5, 6.10, 6.15, 6.20 अब 6.25 होने ही वाले थे कि सफेद स्कूटी पर मरून कलर का स्वेटर पहने परी सामने से आती दिखाई दी। परी को मितेश तक पहुंचने में कुछ सेकंड्स ही लगे होंगे लेकिन यह दृश्य मितेश की जिंदगी में हमेशा के लिए कैद हो गया।
मितेश परी की ओर एकटक देख रहा था, परी ने स्कूटी स्टैंड पर लगाई और मितेश से हाथ मिलाकर उसे बर्थडे विश किया। परी के ठंडे हाथ का स्पर्श से मितेश हकीकत की दुनिया में लौट आया। ओह.. थैक्स यार। परी बोली- सॉरी यार मैं थोड़ा लेट हो गई। मैं निकल ही रही थी कि सर ने एक असाइनमेंट समझाने के लिए रोक लिया। मैंने तुम्हारे लिए कोई गिफ्ट भी नहीं लिया था तो पहले ग्रीटिंग कार्ड शॉप पर गई थी। ये देखो, तुम्हारे लिए... मुझे यलो रंग बहुत पसंद है... असल में मेरी मम्मी का फेवरेट कलर था। और यह पेन... एक जर्नलिस्ट के लिए इससे अच्छा गिफ्ट और क्या हो सकता है... हैना...।
ओह हां बिल्कुल, लेकिन मेरे लिए तुम्हारा इस तरह विश करना ही काफी है, सबसे खास है। मुझे तुम्हारा गिफ्ट पसंद आया। चलो... पार्टी कहां लेना चाहती हो बताओ... मैं तुम्हें वहां ले चलता हूं। पार्टी... हां वो तो मैं तुमसे लूंगी ही लेकिन अभी नहीं, फिर कभी -परी ने कहा। मितेश ने पूछा- क्यों तुम्हीं ने तो कहा था...फिर अब। हां यार पर अभी नहीं चल सकती। लेट हो गई हूं... पापा इंतजार कर रहे होंगे। उनकी तबीयत ठीक नहीं है। मुझे उनकी चिंता लगी रहती है। मैंने सोचा था तुम्हारा बर्थडे स्पेशल मनाएंगे लेकिन...। खैर, सुनाओ कैसा रहा सुबह से अब तक बर्थडे-परी ने पूछा। मितेश बोला- बढ़िया, जैसा हर साल होता है, मम्मी-पापा, भाई, बहन सबकी विश मिली, मम्मी ने मेरी पसंद का खाना बनाया, हमने साथ खाया, अच्छा लगा। सभी दोस्तों के फोन आ गए, कुछ के मैसेज आए। अच्छा, तुम चाहो तो घर चली जाओ, ठंड भी बढ़ रही है और पापा भी घर पर इंतजार कर रहे होंगे... मितेश ने परी से कहा। परी बोली- मैं थोड़ी देर और रुक सकती हूं, यहां से पास ही है घर। तुम्हारा बर्थडे है, थोड़ी देर और बातें करते हैं। ठीक है- मितेश ने कहा।
परी ने अचानक बात पलटते हुए कहा- अच्छा मितेश यह बताओ तुम्हारा शादी के बारे में क्या ख्याल है। इस बारे में कुछ सोचा या...। मितेश अचानक से पूछे इस सवाल पर थोड़ा हड़बड़ा गया... बोला-हां... अभी तक तो कुछ सोचा नहीं, पहले तो करियर पर ही फोकस कर रहा हूं। अब धीरे-धीर मीडिया फील्ड में सैटल हो रहा हूं, जल्दी ही शादी के बारे में भी सोचेंगे। कैसी लड़की चाहिए तुम्हें... परी ने दूसरा और ज्यादा कठिन सवाल दागा। शायद मितेश इस तरह की सिचुएशन के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था। खैर... संभलते हुए उसने कहा- लड़की सुंदर हो, मां का ख्याल रख सके...। अच्छा- ओके, अगैन विश यू वैरी हैप्पी बर्थडे। अब मैं चलती हूं, पापा को दवाई भी देनी है। मितेश कुछ समझ पाता इससे पहले परी ने संवाद को विराम दिया और स्कूटी स्टार्ट कर के चली गई। मितेश अवॉक सा रह गया और कुछ मिनट वहीं खड़ा रहा और सोचने लगा कि इन सवालों का क्या मतलब था और जवाब पूरा होने के पहले अचानक यूं चले जाने के मायने क्या हैं। इस बर्थडे की सुबह जितनी सुकूनभरी और उत्साह से भर देने वाली थी, रात इसकी ठीक उलट और बेचैनी भरी थी।
मितेश के जन्मदिन की वो शाम उसके पूरे जीवन के लिए एक और अधूरी कहानी छोड़ गई थी। कुछ समय बाद परी अपने भाई के यहां उसके पापा को लेकर मुंबई चली गई। लंबे समय तक मितेश और परी ने आपस में कोई बात नही की। इस बीच मितेश ने कुछ हल्के-फुल्के गुदगुदाने वाले मैसेज परी को किए लेकिन परी ने रिप्लाई नहीं किया। कुछ समय बाद एक कॉमन फ्रैंड ने मितेश से कहा कि परी की शादी तय हो गई है, वह अब तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती। अब उसे न तो मैसेज करना न फोन। मितेश ने उस कॉमन फ्रैंड को कहा- मेरी तरफ से उसे अच्छी लाइफ के लिए विश कर देना, मैं कभी उसे न फोन करूंगा, न मैसेज।
Comments