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short story

कहानी दोस्तों पहली कोशिश है शॉर्ट स्टोरी की दुनिया में कदम रखने की। आपका फीडबैक मेरा मार्गर्शन करेगा... बर्थडे दि संबर की सुबह,  ठंड का चरम ऐसा कि रजाई ना छूटे... लेकिन आज मितेश न सिर्फ जल्दी उठ गया था बल्कि बहुत खुश भी था।  उठते से ही सबसे पहले मोबाइल देखा... कुछ मैसेज इनबॉक्स में थे जिन्हें पढ़ते-पढ़ते वह मुस्कुरा रहा था। बेताबी इतनी थी कि लग रहा था किसी खास मैसेज की तलाश थी उसे। उसका बर्थडे जो था आज। वह उठा, तैयार हुआ और घर वालों ने उसका बर्थडे उसी तरह मनाया जैसे हर साल परंपरा चली आ रही थी। जैसा कि आम भारतीय घरों में होता है... अपनी पसंद की मिठाई, पूड़ी-सब्जी, पुलाव, पकौड़े और वो सबकुछ जो मां अपने लाडले के लिए उसके बचपन से बनाती आ रही है। इतना सब होने के बावजूद वह कुछ खोया-खोया सा था। शायद वह किसी इंतजार में था। आज उसने ऑफिस से छुट्टी भी ले ली थी। दोपहर के करीब तीन बज रहे थे, मितेश घर में बिस्तर में लेटा आराम कर रहा था कि अचानक से मोबाइल की रिंग बजी। उसने डिस्प्ले स्क्रीन पर कॉलर का नाम देखा और उसका चेहरा खिल उठा, नींद तो अचानक से गायब ही हो गई। फोन उसकी नई दोस्त परी का था
यो कईं हुओ म्हारा इंदौर के म्हारो इंदौर बदली गयो है। यां सड़कना तो चौड़ी हुई गई है न लोग ना का दिल न व्यवहार ओछा हुई ग्या है। रात के लोगना के सड़क पे निकलना में डर लगे। छोरी ना तो ठीक छोरा ना खे भी रात में निकलनों खतरा से खाली नी रियो. पेला लोग ना इंदौर यो देखने आता था कि यां का लोग रातभर राजवाड़ा न सराफा में कसे घूमता रे। लोगना के आश्चर्य लगतो कि यां राजवाड़ा का सामने अन्ना भैया की पान की दुकान पे तो शटर ही नी थो, वा दुकान तो रातभर खुलीज रेती। इंदौर में कोई राते भूखो नीं रई सकतो थो, रात के दो बजे भी भूख लगी जाए तो तम राजबाड़ा  न सराफा चलिया जाओ, कईं न कई न कम से कम पोहा तो खाने के मिलिज जाता था। पन जद से रात खे बाजार न खासतौर पर राजवाड़ो बंद करवायो हो म्हारा इंदौर में क्राइम खूब बढ़ी गयो है। पेला रात के लोग परिवार का साथे घूमता था तो उनके डर नीं रेतो थो, अबे तो असो लगे कि रात खे गुंडा, मवाली न नशेड़ीज घूमे। जद देखो दो चार दन में खबर अई जाए कि आधी रात के बदमाशना ने अईं उत्पात मचायो, मारपीट करी दी, नशे में गोली चलईदी, न छेड़छाड़ करी दी. म्हारे तो लगे कि पुलिस तो सोतीज रे,,,गुंडाना अ

bona ka pela sochi lo

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rakhi ko byao

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sola somwar kariya mama ne na bhanej ko byao hui gayo

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चार आने वाला ट्यूब

आजादी के ६० साल मनाने वाले देश के शहर की एक बस्ती में ऐसा भी होता है। कुछ दिनों पहले मैं एक डॉ‍क्टर के पास बैठा था। हमलोग बातें कर रहे थे। इतने में एक महिला आई और कहने लगी डॉकसाब मेरी आंखों में खुजली चल रही है। उन्होंने कहा कब से। वह बोली पिछले तीन-चार दिनों से थोड़ा धुंधला दिख रहा है औऱ आंख में कभी-कभी खुजली चलती है। उन्होंने कहा इतने दिन बाद क्यों बता रही हो पहले ही आ जाती, किसी को बताया था। कहने लगी पहले तो खुद ने ही आंख में ट्यूब डाल लिया था,उससे फर्क नहीं पड़ा तो आपके पास आ गई। डॉक्टर ने पूछा कौनसा ट्यूब डाला था। कहने लगी वो चार आने वाला। उन्होंने पूछा चार आने वाला कौनसा ट्यूब आता है, कहने लगी एक रुपए में चार आते हैं इसलिए उसे चार आने वाला कहते हैं। मेडिकल वाले से मंगवा लिया था। हमारे मोहल्ले में तो जब भी किसी को आंख में तकलीफ होती है ये चार आने वाला ट्यूब स्टोर से ले आते हैं। यह स्थिति है देश की तरक्की की। अच्छे खासे इंदौर शहर में इतनी अशिक्षा है पता नहीं था। जहां चार आने में कुछ नहीं मिलता वहां कुदरत के सबसे बड़ी नेमत आंखों की सुरक्षा के लिए दवाई मिलती है। वह भी डॉक्टर के बगैर प

क्रिकेट की जीत हुई

फर्राटा क्रिकेट के पहले विश्वकप में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम कर लिया। पारंपरिक और कड़े प्रतिद्वंदी भारत और पाक आमने सामने थे। क्रिकेट में इन दोनों टीमों की भिड़ंत क्रिकेट प्रेमियों के ड्रीम की तरह है। जो रोमांच और दीवानगी इनके मैचों में होती है वो कहीं और देखने को नहीं मिलती। हर टूर्नामेंट के आयोजकों का सपना होता है कि फाइनल भारत और पाक के बीच हो। जब बात विश्वकप फाइनल की हो तो जो गर्मी २४ तारीख को महसूस हुई वह अनअपेक्शित नहीं थी।न सिर्फ भारत-पाकिस्तान बल्कि दुनिया के हर क्रिकेट खेले जाने वाले देश में रोमांच अपने चरम पर था। जो जुनून और खेल दोनों टीमों ने दिखाया उससे हर क्रिकेट का शौकीन रोमांचित हो गया। मैच के बाद शाहिद अफरीदी और धोनी ने सही कहा कि हार-जीत इतनी महत्वपूर्ण नहीं थी जितना अच्छा खेल खेलना। और इसमें कोई शक नहीं कि कल क्रिकेट अच्छा खेला गया। कई तरह के विवादों और विश्वकप २००७ के बाद से क्रिकेट में निरसता आ गई थी। इस टूर्नामेंट ने कम से कम नई जान तो फूंकी। कल भले ही भारत जीता हो लेकिन वास्तव में जीत तो क्रिकेट की ही हुई है।