चार आने वाला ट्यूब

आजादी के ६० साल मनाने वाले देश के शहर की एक बस्ती में ऐसा भी होता है। कुछ दिनों पहले मैं एक डॉ‍क्टर के पास बैठा था। हमलोग बातें कर रहे थे। इतने में एक महिला आई और कहने लगी डॉकसाब मेरी आंखों में खुजली चल रही है। उन्होंने कहा कब से। वह बोली पिछले तीन-चार दिनों से थोड़ा धुंधला दिख रहा है औऱ आंख में कभी-कभी खुजली चलती है। उन्होंने कहा इतने दिन बाद क्यों बता रही हो पहले ही आ जाती, किसी को बताया था। कहने लगी पहले तो खुद ने ही आंख में ट्यूब डाल लिया था,उससे फर्क नहीं पड़ा तो आपके पास आ गई। डॉक्टर ने पूछा कौनसा ट्यूब डाला था। कहने लगी वो चार आने वाला। उन्होंने पूछा चार आने वाला कौनसा ट्यूब आता है, कहने लगी एक रुपए में चार आते हैं इसलिए उसे चार आने वाला कहते हैं। मेडिकल वाले से मंगवा लिया था। हमारे मोहल्ले में तो जब भी किसी को आंख में तकलीफ होती है ये चार आने वाला ट्यूब स्टोर से ले आते हैं। यह स्थिति है देश की तरक्की की। अच्छे खासे इंदौर शहर में इतनी अशिक्षा है पता नहीं था। जहां चार आने में कुछ नहीं मिलता वहां कुदरत के सबसे बड़ी नेमत आंखों की सुरक्षा के लिए दवाई मिलती है। वह भी डॉक्टर के बगैर पूछे। गांधीजी की जयंती मनाई जा रही है. उम्मीद है कुछ दस-पंद्रह साल बाद जब गांधी जयंती मनाएंगे तब कोई महिला चार आने वाला ट्यूब आंख में नहीं डालेगी।

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dost ye kahani bilkul asli bharat ki hai aur aisa hi padhne par lagta hai hum haquiqat se door jee rahen hain keep it up

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