जरा ध्यान दें
पूर्व चीफ जस्टीस वाय के सबरवाल के बारे में आटीर्कल लिखने के कारण मिड-डे के तीन पत्रकारों को चार माह की जेल की सजा सुना दी गई। कोर्ट की अवमानना के तहत इन्हें सजा सुनाई गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से इन्हें राहत मिली है लेकिन फिर भी स्थिति चिंता जनक है। अब मय सबूतों के भी किसी के खिलाफ लिखने में सतर्कता बरतनी होगी। भारत में मीडिया पर लगाम कसने के लिए लाए जा रहे बिल पर चर्चा जारी है। इसपर बहस हो रही है कि इससे अभिव्यिक्त की आजादी का अधिकार तो कहीं प्रभावित नहीं होगा। हाल ही में इंडिया लाइव चैनल के फर्जी स्टिंग ऑपरेशन के कारण मामला और गरमा गया है और इससे उन लोगों को अपनी बात रखने में वजन मिल गया है जो मीडिया पर लगाम कसना चाहते हैं, खासकर नेता बिरादरी। इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने से कई गंभीर अपराधों और भ्रष्टाचारों का खुलासा हुआ है। कई नेता और प्रभुत्व रखने वाले लोग बेनकाब हुए हैं। इसके कारण इन लोगों पर काफी दबाव था। अभी इन सभी लोगों को बहाना मिल गया है मीडिया को काबू में रखने का। अगर गौर करें तो कहीं न कहीं मीडिया खुद भी इस स्थिति के लिए दोषी है। अगर गौर करें तो कहीं न कहीं मीडिया खुद भी इ...
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